""sharab""


"शराब"
जब सारी दूनियी ठूकराती हैं,
तब जिन्दगी रास नही आती हैं|
जब दूर हो चूके हो अपने,
तब गले लगाती हैं शराब|1|
जब अपने ही करते गद्दारी,
तोड़कर अपनो का विश्वास|
जब जिन्दगी नरक सी लगती,
तब अच्छी लगती हैं शराब|2|
यहाँ सब लोग हैं अजनबी,
यहाँ सारी दूनिया मतलबी|
यहाँ सब लोग झूठ बोलते हैं,
बस सच बोलती हैं शराब|3|
जब प्रियतमा ने दिल तोड़ा,
तब केवल शराब ने दिल जोडा़|
जब नफरत करते दूनिया वाले,
तब साथ निभाती हैं शराब|4|
ना मैं हिन्दू, ना मैं मुसि्लम,
तोड़ सारे मजहब की दिवार|
दूश्मन को भी गले लगाते,
पीकर के मतवाली शराब|5|
:-सनी लाखीवाल

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