""manav ki samtaye""
"मानव की क्षमताए"
चुटकी से पर्वत मसल सकते हो,
पानी पर पैदल चल सकते हो।
आसमान को छू सकते हो,
चाँद को धरती बना सकते हो।
तुम अद्वितीय हो, 'हे मानव',
असंभव को संभव कर सकते हो|1|
चुटकी से पर्वत मसल सकते हो,
पानी पर पैदल चल सकते हो।
आसमान को छू सकते हो,
चाँद को धरती बना सकते हो।
तुम अद्वितीय हो, 'हे मानव',
असंभव को संभव कर सकते हो|1|
आसमान में उड़ सकते हो,
आँधी, तुफाँ से लड़ सकते हो।
पानी में आग लगा सकते हो,
तुम दौड़ हवा में लगा सकते हो।
तुम अद्वितीय हो, 'हे मानव',
असंभव को संभव कर सकते हो|2|
आँधी, तुफाँ से लड़ सकते हो।
पानी में आग लगा सकते हो,
तुम दौड़ हवा में लगा सकते हो।
तुम अद्वितीय हो, 'हे मानव',
असंभव को संभव कर सकते हो|2|
समुन्द्र को मीठा बना सकते हो,
दिन में तारे दिखा सकते हो।
उड़ती चिड़ियाँ भेद सकते हो,
बिन अग्नि रोटी सेंक सकते हो।
तुम अद्वितीय हो, ' हे मानव',
असंभव को संभव कर सकते हो|3|
दिन में तारे दिखा सकते हो।
उड़ती चिड़ियाँ भेद सकते हो,
बिन अग्नि रोटी सेंक सकते हो।
तुम अद्वितीय हो, ' हे मानव',
असंभव को संभव कर सकते हो|3|
वक्त से आगे चल सकते हो,
तुम सपनो को सच कर सकते हो।
तुम अद्वितीय हो, 'हे मानव',
असंभव को संभव कर सकते हो|4|
तुम सपनो को सच कर सकते हो।
तुम अद्वितीय हो, 'हे मानव',
असंभव को संभव कर सकते हो|4|
:-सनी लाखीवाल
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