सच्ची मोहब्बत भाग-2

सच्ची मोहब्बत भाग-2


सच्ची मोहब्बत भाग-2
भाग-1 से----
आज शशि कशिश को साथ पाकर अत्यंत प्रसन्न था। दोनों आपस में बात करते हुये पास ही में स्थित एक पुराने महल को देखने जाते हैं। एक अद्भुत एहसास और सुकून के साथ हाथो को पकड़े हुये पूरे महल में घूमते है। 2 घंटे कब बीत जाते हैं पता ही नहीं चलता। कशिश को उसके रिश्तेदार के यहां से फोन आने लग जाते हैं। कशिश बोलती है शशि अब बहुत देर हो गई यार अब मुझे जाना होगा। शशि कशिश को प्यार से गले लगा लेता है उसका यह अनौखा स्पर्श.....उसे एक नई ऊर्जा देता है। आज वह कशिश को दिल से अपनी बीवी मान लेता है। कशिश किसी रिक्शे में बैठकर अपने रिश्तेदार के वहां लौट जाती है और शशि एक जगह खड़ा उसे निहारता रहता है जब तक कि वह दिखनी बंद नहीं हो गई। ग्रीष्म अवकाश खत्म होते ही कशिश अपने शहर लौट जाती है जो कि शशि के शहर से 400 किलोमीटर दूर था आशियानो में इतनी दूरी होने के बावजूद भी शशि और कशिश बहुत करीब थे।

सच्ची मोहब्बत भाग-2

12वीं पास करने के बाद कशिश ने पढ़ाई छोड़ दी और जैसे ही यह बात शशि को पता चलती है वह उसे डांटकर, जीवन में पढ़ाई का महत्व समझाकर कॉलेज में दाखिला दिलवा देता है जिससे कशिश आगे का अध्ययन पुन: शुरू करती है।

फिर वह एक साल बाद एक एग्ज़ाम के सिलसिले से शशि के पास वाले शहर अपने रिश्तेदार के यहाँ पुन: लौटती है। कशिश इस बार अपने पापा का फोन साथ लायी थी। रात को फोन पर दोनो की बात होती है कशिश बोलती है कि सुबह 8 बजे से उसका पेपर है और पेपर दिलवाने आप आ रहे हो। शशि बोलता है ठीक है आ जाऊंगा। वह रात को ही अपने कपड़े स्त्री कर, ओढ़ने पहनने का सामान सहजकर बैंग में डाल लेता हैं क्योकि सर्दी का मौसम था कड़ाके की ठंड पड़ रही थी और उसे वहाँ 7 बजे पहुचने के लिये सुबह 5:00 ही रवाना होना था।

शशि के परिवार के लोग सुबह 4 बजे ही जग जाते है पता चलता है कि उनके किसी निजी रिश्तेदार का निधन ही गया है। अब शशि को पता है कि वह कशिश के पास नही जा पायेगा तो वह सुबह 4:30 बजे ही कशिश को कॉल लगाता है और उसे अपनी परिस्थिती बताता है कि वह अब नही आ सकता। लेकिन कशिश गुस्सा हो जाती है और कहती है ठीक है मत आओ, वह भी एग्ज़ाम देने नही जायेगी। शशि के लाख समझाने के बाद भी वह अपनी जिद्द पर अटल रहती हैं।

सदैव सत्य बोलने वाला शशि आज खुद की झूठी एग्ज़ाम बताकर घर से निकल जाता हैं।
तेज कड़ाके की सर्दी में ठिठुरते हुए शशि, कशिश के पास पहुचता है। उसका गुस्सा शांत होता है और लबों पर मुस्कान आ जाती है। अब दोनों चाय पीकर टैक्सी में बैठकर समय से 20 मिनट पहले एग्जाम सेंटर पहुंचते है। शशि उसकी एग्ज़ाम बैठक व्यवस्था और उसे वापस आकर मिलने की जगह बता कर बेस्ट ऑफ़ लक कहता है। कशिश मुस्कराते हुये पेपर देने चली जाती हैं।

10 बजे पेपर पूरा हो चुका था दोनो वापस मिलते है और पास ही में स्थित एक होटल के रुम में चले जाते है। रुम में जाते ही कशिश, शशि को कसकर गले लगा लेती है और गाल चूमते हुये कहती है तहेदिल से शुक्रिया जो आप आये। शशि, कशिश के होठो पर पहला कीस करता है और हाथ-मुहँ धोने चला जाता है।
शशि जब वापस आता है तो देखता है कि कशिश अपने बाल सुलझा रही होती है जो पेपर की जल्दी में सुबह नही उलझाये थे। इस स्थिति में वह उसे बहुत प्यारी लगती है वह उसे बाहौ में भर लेता है और kiss करने लग जाता है। 2 मिनट के लिये वो एक दुसरे में ही खो जाते है। शशि कीस करते हुये कशिश को बैड पर गिरा लेता है तभी कशिश बोलती है प्लीज मेरे साथ जबरदस्ती कुछ मत करना। शशि को जोर से हँसी आती है और बोलता है पागल इतने साल साथ रहकर भी आप मुझे समझ नही पाये। उस चीज के लिये तो मैने सोचा ही नही, और शादी के बाद तो आप मेरे हो ही जाओगे। आज कशिश की नजरो में शशि के लिये सम्मान और प्यार पहले से ज्यादा बढ़ गया था

कशिश को हाथ-मुँह धोने के लिये बोलकर,शशि बाहर खाना लेने आ जाता है। फिर दोनो मिलकर खाना खाते है आज दोनो ने इतने सालों में पहली बार 5 घण्टे साथ बिताये है। फिर दोनो अपने-अपने घर लौट जाते है, अब दोनों में प्यार, सागर की गहराई और विश्वास, आसमा की अनंत बुलंदियों को छू चुका था। कशिश की नजरो में शशि का प्यार और भी पवित्र हो गया था कि उसके मना करने के बाद शशि ने कीस से आगे कुछ भी नहीं किया। दोनों ने मिलकर बहुत सपने देखे लिए थे। कि सरकारी जॉब लगनी है,शादी कैसे करनी है यहाँ तक बच्चो के नाम तक सोच लिये थे।

कशिश पढ़ने में बहुत अच्छी थी 12th पास जॉब की तैयारी कर रही थी क्योकि उसकी कॉलेज पूरी नही हुयी थी। कशिश जब भी शशि से बात करती तो कहती कि आप जॉब करो परिवार को संभालो मैं तैयारी करके सरकारी नौकरी लगती हूं। फिर हमें शादी करने से भी कोई नहीं रोक पाएगा। कुछ समय पश्चात निजी परिस्थितियों के कारण कशिश को भी किसी कम्पनी में जॉब करनी पड़ती है अब दोनों अपने-अपने काम में बहुत व्यस्त हो जाते हैं।
दोनों के रिश्ते को पांच 6 साल हो चुके थे इसी बीच वो सात आठ बार मिले भी थे पर उनके बीच गले मिलने और कीस अलावा कुछ नहीं हुआ था। शशि भी तीन-चार साल से जॉब कर रहा था और अब कशिश भी जॉब करने लगी थी। पहले कशिश के पास फोन नहीं था तो रोज पापा के आने के बाद पापा के फोन से 10:20 मिनट बात करती थी। लेकिन अब उसने अपना खुद का फोन भी खरीद लिया था। दोनों अपने-अपने जॉब में इतने व्यस्त हो चुके थे कि कशिश का खुद का फोन होने के बावजूद भी उसे बात टाइम नहीं मिलता था। वह उससे रोज सिर्फ 20,30 मिनट बाते करती थी।

अब दिनों दिन बातें कम होने लग गयी। शशि के बहुत लड़के और कई सारी लड़कियां भी दोस्त थी। जब भी उसे अकेलापन महसूस होता और कशिश के पास वक्त ना होता तो वह उनसे बाते कर लेता। पर किसी भी लड़की से वैसा कोई रिश्ता नहीं था। शशि को कई लड़कियों ने उसकी कई फ्रेंडो ने प्रपोज भी किया था। लेकिन शशि यह कहकर मना कर देता कि उसके पहले से ही प्रेमिका है और वह प्रेमिका ही नहीं उसकी बीवी है वह कुछ सालों बाद उससे शादी कर लेगा।

दूसरी ओर कशिश के भी काफी फ्रेंड बन चुके थे। उनमे उसी की कंपनी में काम करने वाली सीमा भी थी जोकि बिल्कुल चरित्रहीन थी उसे प्यार का कोई मतलब तो छोड़ो, ढंग से प्यार लिखना भी नहीं आता था। उसका काम हर बार नये लड़कों से दोस्ती करना और उनके साथ मस्ती करना था और वह बस इसी को प्यार समझती थी। ये सब बाते शशि को कशिश से पता चली थी। कशिश और सीमा साथ-साथ ही काम करते थे। सुबह घर से साथ ही आते और शाम को भी साथ ही घर जाते। अब वो दोनो दिंन के 10 घण्टे साथ-साथ रहते। दिनोंदिन कशिश और सीमा बहुत घुल-मिल गयी और उनकी दोस्ती भी गहरी हो गयी। कहे तो सीमा का रंग कशिश चढ़ गया था। अब कशिश भी सीमा की तरह लड़कों से दोस्ती करने लग गई थी।
कशिश को नये दोस्त मिल जाने के कारण शशि से बात करना कम कर दिया था। अब धीरे-धीरे उसे इग्नोर करने लगी थी और यदि शशि कुछ बोलता तो कहती अब आप मुझ पर शक करने लगे हो। अब उनके बीच हमेशा इसी बात को लेकर झगड़े होने लग गए। सीमा कशिश से कहती है तुम और शशि हमेशा क्यों झगड़ते रहते हो। एक बार में ही रिश्ता क्यों नहीं खत्म कर लेते और वैसे भी 400 किलोमीटर दूर बैठे शशि से बात करके तेरा क्या फायदा। जिससे तू मिलना तो दूर की बात, मन करे तब देख भी नहीं सकती। यहीं बहुत सारे अच्छे लड़के हैं किसी से भी दोस्ती कर ले और मौज कर।


समय बीतता रहा कशिश और शशि की बातें तो होती पर हमेशा झगड़े होते। अब वह शशि को बहुत ही ज्यादा इग्नोर करने लग गई थी। रोज बात करने की आदत पड़ा शशि अब सिर्फ उसे याद करके रोता रहता। जब 10-20 मिनट भी बात होती तो भी वह खुश हो जाता अन्यथा पूरे रात-दिन रोता रहता।
शशि जब भी कशिश को उसके इग्नोर करने का कारण पूछता था तो वह बोलती की पूरे दिन कम्पनी के काम से थक जाती हूं इसलिए रात को जल्दी नींद आ जाती है और पूरे दिन काम में व्यस्त रहती हूँ तो आपसे बात नही कर पाती और फिर आपको लगता है कि मैं आपको इग्नोर कर रही हूँ। कशिश ने अब अपने फोन में दो व्हाट्सएप डाउनलोड कर लिए थे। एक पर शशि को ब्लॉक कर रखा था और एक पर थोड़ी देर शशि से बात करती। वह रोज शशि को जल्दी सोने को बोलकर देर रात किसी और से बातें करती रहती।

कौन किसके जन्मदिन पर कितना जगा है।
यही बताता है कि किसका कितना सगा है।।

यह सब शशि के जन्मदिन से चल रहा था। 6 साल का प्यार होने के बाद भी कशिश ने उसे निश्चित समय पर जन्मदिन विश न करके सुबह किया था। खुद के जन्मदिन की पूरी रात शशि यह सोचकर रो रहा था कि कोई व्यक्ति खुद की नींद भूलाकर रात्रि 12:00 बजे जन्मदिन उसे ही विश करता है जो उसकी जिंदगी का महत्वपूर्ण व्यक्ति हो। क्या वह 6 साल में भी महत्वपूर्ण नहीं बन पाया। अब शशि उदास रहने लगा था ना ढंग से खाना खाता और ना ही सोता। यहां तक की अब उसने अपनी जॉब भी छोड़ दी थी। बस अब उसे याद करके रोता रहता। इसी कारण इसी बीच शशि को दिल की बिमारी पता चलती है अथार्थ दिल का अनियमित धड़कना, सांस लेने में कठिनाई और दर्द रहना शुरू हो जाता है। शायद यह उसके डिप्रेशन की वजह से होता है। लेकिन शशि हॉस्पिटल से 30-40 हजार रुपये की दवाई लेकर 2, 3 महिने में सामान्य हो गया था। लेकिन शशि अब भी उसकी पुरानी बातें याद कर, उसकी फोटो देखकर रोता रहता। धीरे-धीरे शशि की आंखें भी लगातार रोने से कमजोर पड़ रही थी।

बहुत रुलाता है मेरा होशियारपन मुझे,
हे भगवान खास मैं पागल होता।।

दिमाग से बहुत तेज सत्य के पथ पर चलने वाला शशि कशिश की पूरी बातें जानता था और यही बात उसे बहुत तकलीफ देती थी वह सोचता था खास वह इतना तेज ना होकर पागल होता। वह कैसे मान लेता कि कशिश अपने जॉब में व्यस्त होने की वजह से बात नहीं कर पाती।
उसके सब झुठ सच मान लिये हमने।
जब उसने कहा दिया तुम्हारी कसम।।

शशि इतना तेज था कि किसी इंसान की दो बातें सुनकर ही समझ जाता था कि वह सच बोल रहा है या झूठ। कशिश लगातार कई महीनों से झूठ बोले जा रही थी और शशि कुछ बोलता तो बोल देती आप की कसम। शशि उसे तो कुछ नहीं कहता पर उसकी झूठी बातों और झूठी कसमों से बहुत रोता क्योंकि वह सब कुछ समझ गया था कि कशिश को कोई और मिल गया है पर कशिश हमेशा मना कर देती और बोलती कि वह उसके अलावा किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती वह उसको अपना पति मानती है।

अब शशि जब भी कॉल करता रोता रहता। बात करते हुये उसे सांसे भी ढंग से नही आती। कशिश कुछ देर सुनती और कॉल काट देती उसे अब शशि की इस हालत से कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योकि.....

शेष कहानी कल अगले भाग में......
-सनी लाखीवाल

 

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