""meri garibi""
"मेरी गरीबी"
गरीबी कैसी होती हैं अमीरो को क्या पता होगा,
रोज चावल बनते हैं उनके, उसमें कंकड़ का दाना न इक होगा।
गरीबो के घर में दिवाली को भात का दाना न इक होगा,
बच्चे रोकर खायेंगे, दाल-रोटी उनका खाना होगा।
हजारो पैसो के पटाखे अमीरो ने छोड़े,
पर हाथ किसी के आगे ना जोड़े,
गरीब बच्चा ने बड़ो के धौक लगाये,
और बड़े लोगो की दूआ पाये।
सौ साल की उम्र हो उनकी,
यही हैं दूआ हमारी
हे लक्ष्मी माँ
सुनो इक पुकार हमारी।
अमीरो के घर तो रोज रहती हो,
गरीबो के घर आओ ना, इस दिवाली।।
:- सनी लाखीवाल
गरीबी कैसी होती हैं अमीरो को क्या पता होगा,
रोज चावल बनते हैं उनके, उसमें कंकड़ का दाना न इक होगा।
गरीबो के घर में दिवाली को भात का दाना न इक होगा,
बच्चे रोकर खायेंगे, दाल-रोटी उनका खाना होगा।
हजारो पैसो के पटाखे अमीरो ने छोड़े,
पर हाथ किसी के आगे ना जोड़े,
गरीब बच्चा ने बड़ो के धौक लगाये,
और बड़े लोगो की दूआ पाये।
सौ साल की उम्र हो उनकी,
यही हैं दूआ हमारी
हे लक्ष्मी माँ
सुनो इक पुकार हमारी।
अमीरो के घर तो रोज रहती हो,
गरीबो के घर आओ ना, इस दिवाली।।
:- सनी लाखीवाल
Comments
Post a Comment
Thank you very much for comments