गोवर्धन

"स्वरचित मुक्तक"
हे गोवर्धन पर्वतधारी,
हे नटवर नागर गिरधारी। 
गम फैला मेरे जीवन में,
अब पीड़ हरो पीड़ाहारी।। 
20-10-2017 11:13am

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