उसका नाम ही "छोटू" था उसका काम तो बहुत बड़ा था!

कहानी-छोटू


                                  
    कहानी- छोटू

मैं छुट्टी पर घर आ रहा था, तभी अचानक मैंने देखा कि कुछ लोग एक बारह-तेरह साल के बच्चे को मार रहे थे। मैं उनके पास गया और बच्चे को उनसे छुड़ाकर उन लोगो से पीटने का कारण पुछा तो उन्होने कहा कि इस बच्चे ने हमारी दुकान से बिस्किट चुराकर खाये हैं। मैंने दुकानदार को बिस्किट का दौगुना दाम देकर बच्चे को उनसे अलग लाया। मैंने बच्चे को पूछा कि तुमने चौरी क्यो की हैं। तो उसने कहा साहब मैंने चौरी नही की मैं कल से भूखा था और भोजन की तलास में इधर भटक रहा था कि अचानक मेरी नजर दुकान के पास पड़े बिस्किट के पैकेट पर पड़ी। जिसे एक कुत्ता खाने की कोशिश कर रहा था। मै कुत्ते से छिनकर बिस्किट खाने लगा तो इन लोगो ने देखा और मुझे मारने लगे। फिर मैंने उसका नाम पूछा तो वह बोला "छोटू"
मैंने उसके माता-पिता के बारे में पूछा तो पता चला कि वह अनाथ हैं। वह काम की तलास में भटक रहा हैं, कोई उसके फटे मैलें कपड़े देख कर उसे काम पर भी नही रखता। लोग उस पर विश्वास ही नही कर पाते सोचते है कि कही ये चौर निकला और घर को साफ कर ले गया तो इसलिये मैं छोटू को अपने साथ अपने घर ले आया। मेरे घर में मेरी मां ही थी क्योकि बहनो की शादी हो चुकी थी और पिताजी कुछ वर्ष पहले ही गुजर चुके थे। छोटू के घर आने से मां को भी काम में राहत मिली। घर का छोटा-मोटा काम अब छोटू कर लेता था।
 मेरी छुट्टीयां समाप्त और मैं ड्यूटी पर गया और छोटू को बोलकर गया कि अब वो मां का ख्याल अच्छे से रखे। मैं वहा से रोज मां व छोटू बात कर लेता, एक दिन मां को अचानक दर्द हुआ तो छोटू ने मां को नजदीक के एक बड़े हॉस्पिटल में दिखाया और जांच के बाद डॉक्टर ने छोटू से कहा कि इनकी दोनो किडनी खराब हो गयी हैं। अब ये तभी जिन्दा रह सकती हैं जब इसे कोई अपने किडनी दान दे। छोटू ने बिना कुछ सोचे समझे अपनी किडनी मां को डोनेट करने की सोच ली।

छोटू ने डॉक्टर से कहा कि मैं अपनी किडनी मां को डोनेट करने के लिए तैयार हूं पर यह सुनते ही डॉक्टर ने साफ मना कर दिया कि वह अपनी किडनी डोनेट नहीं कर सकता क्योंकि एक तो उसकी उम्र 18 वर्ष से कम है और उसमें वजन व रक्त भी प्रयाप्त नहीं है। लेकिन छोटू डॉक्टर के पैरों में पड़ गया कि कैसे भी करके मेरी एक किडनी मां के डाल दो जिससे मां बच जाए लेकिन डॉक्टर नही मानें। छोटू ने डॉक्टर को अपनी पूरी कहानी बताइए कि इस दुनिया में  मेरा कोई नहीं है यदि आज मां मर गई तो मेरे साहब भी मेरी तरह अनाथ हो जाएंगे और मैं उनकी ऐसी हालत कभी भी नहीं देख सकता। यदि आपने मेरी किडनी माँ को डोनेट नहीं की तो माँ इस दुनिया से चल बसेगी। फिर मैं साहब को तड़पता नहीं देख पाऊंगा इसलिए मैं आज रात ही खुदकुशी कर लूंगा। छोटू के लाख गिड़गिड़ाने के बाद छोटू की स्थिति समझकर डॉक्टर साहब ऑपरेशन के लिए तैयार हो गये। लेकिन जब छोटू के शरीर की जांच की गई तो पता चला कि उसकी खुद की एक किडनी खराब है, डॉक्टर ने मना कर दिया कि अब हम कुछ नही कर सकते। यदि ऐसा करते है तो छोटू की जान चली जायेगी। जैसे ही यह बात डॉक्टर ने छोटू को बताई तो छोटू ने कहा कि यदि आपने मेरी किडनी माँ को डोनेट नहीं की तो मैं खुदकुशी करके मर जाऊंगा क्योंकि मैं मेरे साहब को घुट-घुट कर मरता नहीं देख सकता तो इससे अच्छा है कि आप मेरी किडनी से मेरे साहब की हंसी को जिंदा रख लो। बहुत सोच विचार कर डॉक्टरों ने छोटू की किडनी मां को लगाने का अंतिम निर्णय लिया। यह निर्णय लेते हुये डॉक्टर की आँख में आँसुओ की झड़ी लगी थी। आज उसने जिंदगी में ऐसी पहली घटना देखी थी। लेकिन ऑपरेशन से पहले छोटू ने यह कहा कि यदि मां पूछे कि छोटू कहां गया तो कह देना कि छोटू अपने गांव लोट गया हैं।
सुबह हुई तो मां जिन्दा थी पर छोटू बहूत दूर जा चुका था। मां ने डोक्टरो से छोटू के बारे पूछा तो उन्होने ऐसा ही कहा जैसा छोटू ने कहा था। मैंने रात को कोल किया तो मां ने बताया कि कल उसकी बहूत ज्यादा तबीयत खराब हो गयी थी और छोटू ने हॉस्पिटल से उसका ओपरेशन करवाया हैं। मैंने पूछा कि छोटू कहा हैं तो मां ने कहा की वह अपने गांव लौट गया हैं।
मुझे दाल में कुछ काला नजर आया और मैं छुट्टी लेकर गांव चला आया। मैंने होस्पिटल जाकर पुछा कि मां को क्या हुआ था और छोटू कहा गया तो एक डोक्टर ने कहा। आपकी मां की दोनो किडनी खराब हो गयी थी पर उस बच्चे ने अपनी जिन्दगी देकर आपकी मां की जान बचा ली। यह सुन मेरे तो होश उड़ चुके थे मेरी आंखे खुन के आंसु रो रही थी।
इतने में एक डोक्टर ने मुझे छोटू का एक अंतिम खत दिया जिस में लिखा था कि "मुझे पता हैं मां के बगैर कैसे जीया जाता हैं। मेरी जिन्दगी पर आपके बहूत एहसान हैं। मैं खुश हूं कि मेरी जिन्दगी से आज कोई अनाथ होने से बच गया और इतने दिनो में मुझसे कुछ गलती हुई हो तो माफ कर देना,,,,,, अलविदा"
मेरे कपड़े आंसुओ से पुरे भीग चुके थे और मैं सोच रहा था कि उसका नाम ही "छोटू" था उसका काम तो बहुत बड़ा था!
सनी लाखीवाल
शाहपुरा(जयपुर)
08-11-2017

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