जब वाणी में भी शीत मिले
"स्वरचित मुक्तक"
जब वाणी में भी शीत मिले,
दुश्मन भी बनकर मीत मिले।
मन कुसुम-सम प्रफूल्लित हो,
तब किस्मत पर भी जीत मिले।।
जब वाणी में भी शीत मिले,
दुश्मन भी बनकर मीत मिले।
मन कुसुम-सम प्रफूल्लित हो,
तब किस्मत पर भी जीत मिले।।
"शुभ-प्रभात"
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