रिशवत

लघुकथा सृजन - 16
तिथि - 18/12/2017
वार - सोमवार
विषय - रिश्वत

          *50 करोड़ की कहानी*
   "मौत के फरिश्ते रिश्वत नही लेते"

मोहन का सपना था कि वो पुलिस इंस्पेकटर बने और रिश्वत की कमाई से धनवान बनकर आराम करें। मोहन का सपना पुरा हूआ। वह अपनी कड़ी मेहनत से पुलिस इंस्पेकटर बना। मोहन फूली नही समा रहा था क्योंकि रिश्वत की कमाई से उसको पौ-बारह होने वाला था।
मोहन को जबलपुर गांव में पोस्टिंग दी गयी। अब मोहन वहां चौरी-डकेती से लेकर मर्डर-हत्या तक का कैश संभालने लगा। वह रिश्वत के खातिर चौर को ईमानदार, हत्यारे को निर्दोष बता देता और बेगुनाह लोगो को अन्दर कर देता। सभी गांव वालो के मुहं पर मोहन के लिए बस बददूआ ही थी। लेकिन रिश्वत की कमाई से वह 10-15 वर्षो में ही अपने शहर का सबसे बड़ा अमीर बन गया था। लेकिन अब भी उसकी तृष्णा मिटी नही थी। वह हर काम में रिश्वत लेने लगा और अपना काम कराने के लिए रिश्वत देने लगा। मोहन 50 करोड़ की संपति का धनी बन चुका था। एक रोज अचानक मोहन की कार का एक्सीडेंट हो गया। उसे होस्पिटल पहूचाया गया। मोहन को बहूत ज्यादा चोट लगी थी तो डोक्टरो ने भी जवाब दे दिया कि अब मोहन को बचाना असंभव हैं। मोहन को लेने मौत के फरिश्ते आ चुके थे। मोहन फरिश्तो से कहने लगा कि मेरी संपति का चौथा हिस्सा तुम ले लो और मेरी जगह तुम किसी और को ले जाओ पर फरिश्ते अपने कृर्तव्य पर अडिग थे क्योंकि उन्हे तो सिर्फ मोहन को ले जाना था। मोहन ने फिर कहा कि मेरी आधी संपति ले लो और सिर्फ मुझे एक महिने के लिए छोड़ दो पर फरिश्ते अब भी नही माने। मोहन लगातार फरिश्तो को रिश्वत देने का असंभव प्रयास करने लगा। अंत में 50 करोड़ का सौदा एक घण्टे के लिए तय हूआ । फरिश्तो ने कहा कि तुम अपने 50 करोड़ के बदले यहां एक घण्टे रह सकते हो और लोगों को अपनी मन की बात कह सकते हो। तो मोहन ने अपने विचारों को एक पत्र में लिखा.....
मैं मोहन अपनी पुरी उम्र रिश्वत के पैसो से अपना घर भरता रहा। मुझे लगता था कि यहां हर काम रिश्वत से चल जाता हैं। लेकिन आज पता चला कि *मौत के फरिश्ते रिश्वत नही लेते* और नही कुछ साथ लेकर जाने देते। बहूत प्रार्थना के बाद मौत के फरिश्तो ने 50 करोड़ के बदले बस एक कहानी लिखने का मौका दिया हैं। उसमें मैं आप सभी से यही कहता हूं कि तुम पैसो के पीछे अंधे मत हो बस इंसानो की भलाई करों। जिससे तुम्हे जाने के बाद भी लोग तुम्हे याद करें। मेरे 50 करोड़ की कहानी की बस यही शिक्षा हैं कि "मौत के फरिश्ते रिश्वत नही लेते"

सनी लाखीवाल
राजपुरा(शाहपुरा) जयपुर
#साहित्य सागर

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