गजल सनी लाखीवाल
गज़ल
अपने होठों पर सजाना चाहता हूं।
मैं गमों को भी गुनगुनाना चाहता हूं।।
भाती नही मुझको ये मतलबी दुनिया,
मैं चाँद पर घर बसाना चाहता हूं।।
के वसुधा के गुलशन में फूल बने काँटे,
काँटो से उपवन महकाना चाहता हूं।।
आस्तीन के साँप पल रहे हर घर में,
कुचल उनका फन,मिटाना चाहता हूं।।
हीन-भावना मिटाकर इनके दिलो से,
इन पशुओ को इंसान बनाना चाहता हूं।।
मिटा तम नफरतो का इनके हृदय से,
मैं इक प्यार का दीपक जलाना चाहता हूं।।
सनी लाखीवाल
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