एक पैर नही फिर भी छू लिया आसमां
"पंखों से नही हौसलों से होती है उड़ान"इसी उक्ति को जीने वाले मोटिवेटर नवाब खान आज अपने इलाके के लिये ही नही अपितु बाहर के लोगों एक लिये भी एक मिसाल बन गये हैं। नवाब शाहपुरा का रहने वाला है जिसके पिता का नाम शदरु खान हैं। जिसका 2014 में एक सड़क दुर्घटना में एक पैर घुटने के ऊपर से कट जाने के बाद भी नवाब ने हार नही मानी। एक हॉस्पिटल से मशीनी पैर लगवाकर जिन्दगी की दौड़ में उतर पड़ा। वह अपने कठिन प्रयासों से उस मशीनी पैर से चलना ही नही दौड़ना सीख गया। उसने 10km के 2 व 5km के 5 मैराथन दौड़े हैं। आज भी वह प्रतिदिन 20-25km साईकिल चलाता हैं।वह कहता है कि सिर्फ कुछ ही लोग होते है जो हारकार खून बहाकर चोट पर पट्टी बांधकर वापस मैदान में उतरते हैं लड़ने के लिये। वह अपनी जिन्दगी की चुनौतियों से सीखकर ऐसे प्ररेणादायिक सुविचार लिखने लगा जो मुर्दे में भी जान डाल दे। वह सुविचारों में लिखता हैं,,,
खुशी देखो रूकावटों की, कि इसके एक पैर नहीं !
इरादों से अनजान है वो मेरे ,और उनकी खैर नहीं !!
बुरा वक्त उन्हीं के लिए आता हैं !
जो.....
बुरे वक्त से लड़ नही पाते हैं !!
शेर की दहाड़ से ज्यादा खतरनाक,
उसकी फुलती हुई सांसे होती हैं !!
किसी के लिए कुछ नहीं तो, किसी के लिए मिसाल हूँ मैं !
मुझमे हिम्मत वहाँ से आती हैं,जिस मिट्टी का लाल हूँ मैं !!
मत पूछो की मैं कितना घायल हूँ !
कुछ कर ना सकुँ इस लिए कायल हूँ !!
खुशी देखो रूकावटों की, कि इसके एक पैर नहीं !
इरादों से अनजान है वो मेरे ,और उनकी खैर नहीं !!
बुरा वक्त उन्हीं के लिए आता हैं !
जो.....
बुरे वक्त से लड़ नही पाते हैं !!
शेर की दहाड़ से ज्यादा खतरनाक,
उसकी फुलती हुई सांसे होती हैं !!
किसी के लिए कुछ नहीं तो, किसी के लिए मिसाल हूँ मैं !
मुझमे हिम्मत वहाँ से आती हैं,जिस मिट्टी का लाल हूँ मैं !!
मत पूछो की मैं कितना घायल हूँ !
कुछ कर ना सकुँ इस लिए कायल हूँ !!
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